सचिन तेंदुलकर एक महान क्रिकेटर के रूप में कैसे जाने जाते हैं | Sachin Tendulkar Indian Cricketer

खेल के क्षेत्र में भारत के अनेक खिलाड़ियों ने विश्व में अपने देश का नाम ऊंचा किया है उन्हीं में से एक है सचिन तेंदुलकर संसार के ।। सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज ।। आइए उनके बारे में आज इस पोस्ट में पढ़ते है। 

खेल का मैदान खचा-खच भरा हुआ था। मुंबई के शारदाश्रम विद्या मंदिर और सेंट जेवियर्स हाई स्कूल के टीमों के बीच क्रिकेट का मैच चल रहा था। शारदाश्रम विद्यामंदिर की टीम बल्लेबाजी कर रही थी उसके 2 खिलाड़ी आउट होने का नाम ही नहीं ले रहे थे। तीसरे विकेट की साझेदारी में 664 रनों की विशाल संख्या बनाकर उन्होंने सभी को आश्चर्यचकित कर दिया। इनमें से अकेले ही 346 रन बनाने वाले खिलाड़ी थे। आज के  क्रिकेटर के महानायक के रूप में जाने जाने वाले सचिन तेंदुलकर और दूसरे थे उनके मित्र विनोद कांबली रनों के इस पहाड़ ने सचिन का नाम विश्व कृति मानो की पुस्तक में शामिल करवा दिया।
सचिन का जन्म  24 अप्रैल 1973 को मुंबई में हुआ था ।अपने भाई-बहनों में सबसे छोटे थे मशहूर संगीतकार सचिव देव वर्मन के नाम पर ही उनके दादा ने उनका नाम सचिन रखा था शायद इसलिए सचिन को क्रिकेट के अलावा संगीत सबसे अधिक पसंद है। 
हम बच्चों की तरह सचिन भी बचपन में कांची खेलते,लड्डू चलाते और पतंग उड़ाते थे उन्होंने शुरू से आउटडोर गेम्स पसंद थे।


वे टेनिस खिलाड़ी जान मेकनरो की तरह हाथ में टेनिस का बल्ला लिए सिर और कलाई पर बैंड बांधे घूम रहे थे धीरे-धीरे उनका झुकाव क्रिकेट की ओर हो गया सचिन की क्षमता को पहली बार उनके बड़े भाई अजीत ने पहचाना उन्होंने सचिन को क्रिकेट की बारीकियां समझाते हुए उनका मार्गदर्शन किया इनके पिता ने इनका दाखिला श्रद्धा आश्रम विद्या मंदिर में करवा दिया जहां के कोच रमाकांत आचरेकर मुंबई में क्रिकेट खिलाड़ी बनाने की फैक्ट्री के नाम से प्रसिद्ध थे।

अपने शिष्य सचिन की क्रिकेट प्रतिभा को अचरेकर सर ने अच्छे से  निखारा अचरेकर सर का सचिन को अभ्यास कराने का तरीका बिल्कुल अनोखा था वह स्टंप के ऊपर एक का सिक्का रख देते थे अगर किसी गेंदबाज ने सचिन को आउट कर दिया तो वह सिक्का उस गेंदबाज का हो जाता था यदि सचिन आउट नहीं हुए तो वह सिक्का सचिन का हो जाता था, सचिन ने अपने गुरु से ऐसे 13 सिक्के जीते थे जो अभी भी उनके पास है।

12 वर्ष की उम्र में सचिन ने पहली बार जुबाब पारसी क्लब की ओर से कांगा लीग में भाग लिया साडे 15 वर्ष की आयु में ही रणजी ट्रॉफी में खेलने वाले व भारत के सबसे कम उम्र के खिलाड़ी बने उन्होंने अपने पहले रणजी ट्रॉफी मैच में ही शतक बनाकर भारतीय टीम में स्थान पक्का कर लिया केवल 16 वर्ष की आयु में सचिन ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में कदम रखा और पाकिस्तान के विरुद्ध अपना पहला क्रिकेट टेस्ट मैच खेला 17 वर्ष की आयु में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में शतक लगाने वाले दूसरे सबसे कम आयु के खिलाड़ी बने इसके बाद  तो  कृति मानव का सिलसिला शुरू हो गया उन्होंने 72 मैचों में “मैन ऑफ द मैच” और 19 बार मैन ऑफ द सीरीज का पुरस्कार प्राप्त किया।

सचिन एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैचों में सबसे पहले दोहरा शतक बनाने वाले खिलाड़ी हैं इतना ही नहीं एक सौ अंतरराष्ट्रीय शतक बनाने वाले वह एकमात्र खिलाड़ी है टीम इंडिया के लिए खेलते हुए सन 2011 में I. C. C  विश्व कप जीतना उनके जीवन का यादगार दिन है।
 
यदयपि सचिन तेंदुलकर ने सन 2013 में क्रिकेट को सदा के लिए अलविदा कह दिया, किंतु अभी सचिन का नाम सुनते ही बच्चे बूढ़े जवान सभी के चेहरे खिल उठते हैं क्रिकेट की चर्चा हो और सचिन का नाम ना आए ऐसा संभव ही नहीं है
सचिन तेंदुलकर अपने समय के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज तो रहे ही वह एक श्रेष्ठ क्षेत्र रक्षक और गेंदबाज भी रहे हैं।

वह भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित होने वाले सर्वप्रथम खिलाड़ी और सबसे कम उम्र के व्यक्ति हैं

राजीव गांधी खेल रत्न से सम्मानित होने वाले पहले क्रिकेट खिलाड़ी है इसके अतिरिक्त उन्हें सन 1999 में पदम श्री और सन 2008  में पदम भूषण की उपाधि से भी सम्मानित किया इतना ही नहीं सन 2014 में उन्हें सरकार से सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न प्रदान किया।
सचिन तेंदुलकर एक अच्छे खिलाड़ी होने के साथ-साथ एक अच्छे इंसान भी है समाज के कमजोर और पिछड़े वर्ग के बच्चों की सहायता के लिए अनेक गैर सरकारी संगठनों से जुड़े हैं आजकल में भारतीय संसद में राज्यसभा के मनोनीत सदस्य के रूप में अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं।

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